बहुत दूर आ गए हैं हम;
यहाँ से सब बहुत दूर दिखता है;
लोग छोटे दिखते है;
सपने बहुत बड़े मालूम होते हैं;
ऐसे जैसे उन्हें पूरा करने में
एक उम्र लग जायेगी;
क्या सिर्फ ख्वाब देखने में
वक़्त गुजारना अच्छा नहीं है?
ख्वाब पूरा होने पे
क्या ख्वाब मर नहीं जाते ?
उनकी भी तो एक उम्र होती है;
बहुत पास आ गए हैं
हम दुसरे छोर के;
नदी का दूसरा किनारा;
दुनिया का आखरी छोर...!
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