Monday, March 14, 2011

बहुत दूर















बहुत दूर आ गए हैं हम;
यहाँ से सब बहुत दूर दिखता है;


लोग छोटे दिखते है;

सपने बहुत बड़े मालूम होते हैं;

ऐसे जैसे उन्हें पूरा करने में
एक उम्र लग जायेगी;

क्या सिर्फ ख्वाब देखने में
वक़्त गुजारना अच्छा नहीं है?

ख्वाब पूरा होने पे
क्या ख्वाब मर नहीं जाते ?

उनकी भी तो एक उम्र होती है;

बहुत पास आ गए हैं
हम दुसरे छोर के;

नदी का दूसरा किनारा;
दुनिया का आखरी छोर...!

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